लल्लन बाग़ी
रसड़ा(बलिया) तहसील क्षेत्र स्थित ऐतिहासिक गौरा गांव में गोविंद शाह की तपोस्थली पर 15 दिवसीय मेले का शुक्रवार को शुभारंभ हो गया। मेले के उद्घाटन से पूर्व मंदिर के मुख्य पुजारी और अतिथियों सहित अन्य लोगों ने पूरे विधि-विधान से वैदिक मंत्रोच्चारण एवं हवन-पूजन किया। इस दौरान खिचड़ी एवं बाटी चोखा का प्रसाद ग्रहण कर मेले का विधिवत आरंभ किया गया।यह पूर्वांचल का प्रसिद्ध गोविंद शाह मेला है, जो 15 दिनों तक चलता है। यहां आने वाले श्रद्धालु गोविंद शाह के दर्शन करने के बाद मंदिर में खिचड़ी और लाल गन्ना चढ़ाते हैं। मान्यता है कि ऐसा करने से उनकी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यह भी माना जाता है कि मंदिर के हवन कुंड से भभूत (पवित्र राख) ले जाने से सभी दुख दूर हो जाते हैं।यह मेला लगभग 45 वर्षों से प्रचलित है। पूर्व प्रधान त्रिभुवन यादव ने महात्मा गोविंद शाह के जीवन परिचय का उल्लेख करते हुए कहा कि महात्मा गोविंद शाह ने सामाजिक सौहार्द, भाईचारे, एकता और शांति का जो संदेश दिया, उसे आज भी आत्मसात करने की आवश्यकता है। तभी हम एक विकसित राष्ट्र के निर्माण में अपना अमूल्य योगदान दे सकते हैं।उन्होंने आगे कहा कि आज के समय में सामाजिक मूल्यों के हो रहे क्षरण को रोकने के लिए उनके द्वारा स्थापित मानदंडों को अपनाना ही एकमात्र उपाय है। पूर्व प्रधान यादव ने इस बात पर भी चिंता व्यक्त की कि बलिया जिले के इस प्रसिद्ध गौरा धाम गोविंद शाह मेले और इसके सुंदरीकरण को लेकर किसी नेता या विधायक का ध्यान नहीं है, जबकि यहां हर साल दूर-दराज से हजारों श्रद्धालु दर्शन करने आते हैं।इस अवसर पर गणेश, हरेंद्र राजभर, लल्लन, कालिका दास, विष्णु दास, राजेंद्र दास, सुरेश दास, मुन्ना सहित कई अन्य लोग उपस्थित रहे।



