लल्लन बाग़ी
रसड़ा (बलिया) छठ का पर्व सूर्य उपासना का पर्व छठ साल मे दो बार मनाया जाता है एकबार कार्तिक मास में दूसरी बार चैत मास में जो की इस माह मे मनाए जाने वाले छठ का महता कही अधिक है यह सबसे कठिन व्रत मे एक है यह पर्व चैत नवरात्रि के मध्य में यह छठ पुजा मनायी जाती है यह पर्व चैत मास के चतुर्थी से शुरू होकर चैत मास के सप्तमी तक की जाती है वैसे यह पर्व 1अप्रैल से शुरूआत होती सप्तमी तिथि को सम्पन्न होती है यह पर्व रसड़ा नगर के श्रीनाथ सरोवर पर गुरूवार को ह्रालाकि ग्रीष्म काल के चैत मास अंग्रेजी माह के 3 अप्रैल को देखने को मिला जो कार्तिक मास अंग्रेजी माह अक्टूबर नवम्बर के अपेक्षा जानकरी न होने करण अधिक संख्या में व्रती महीला कम रही यह धारावाहिक में कई सालो से मनायी जाती रही है। इस पर्व मे व्रती महिलाए पहले दिन चूल्हे पर आम की लकड़ी से अग्नि जला कर अरवा चावल का भात कद्दू की सब्जी व चना का दाल बनाकर छठ व्रत रखती है तो कही चावल का तो कहीं चावल व दूध का आम की लकड़ी से अग्नि जला कर बनाती है।इसके पूर्व अग्नि की पुजा कर अपने समर्थ व परम्परा के अनुसार प्रसाद बनाकर प्रसाद ग्रहण कर व्रत रहती है तीसरे निर्जला रहकर संध्या के वेला अपने नजदिकी जलाशय नदियां; तालाब; पोखरा, सरोवर; अस्ताचल अस्तागामी भगवान सूर्य देव को पहला अर्घ्य देती है और चौथे दिन उदयमान सूर्य को अर्घ्य देकर मां छठी व भगवान सूर्य की अराधना कर लोकमंगल अपने कुल खानदान की सुख समृद्धि धन्य धान्य की कामना करती है तथा लोककल्याण की प्रार्थना करती है तत्पश्चात घर आकर बनी प्रसाद को ब्राह्मण असहाय को क्षमता के अनुसार अन्न व फल दान कर व्रत को पारन करती है यह पर्व सूर्य उपासना छठी माता का अस्ता से व्रत रहने वाली व्रती को पुन रत्न सुख संपदा षड्यंत्र जीवन के लिए फल दायी है जिसे यह पर समूचा भारत ही नही अन्य देशो में मनायी जाती है



