थानाप्रभारी अतुल मिश्रा सहित आठ पुलिस कर्मियों पर मुकदमा चलाने का विशेष न्यायाधीश ने दिया आदेश

MAHARSHI TIMES
0

 ओमप्रकाश वर्मा 

नगरा(बलिया)। विशेष न्यायालय में दाखिल मुकदमा में अपर जिला सत्र न्यायाधीश ने भाजपा नेता देवनारायण प्रजापति के मामले मे ऐतिहासिक फैसला में आठ पुलिस वालों के विरुद्ध मुकदमा की सुनवाई हेतु मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट को आदेशित किया है। न्यायालय विषेश न्यायाधीश ईसीएक्ट अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश, बलिया के पीठासीन अधिकारी विद्वान रामकृपाल, जे. ओ. कोड नं. - 02759 उच्चतर न्यायिक सेवा के न्यायालय मे निगरानीकर्ता बलिया जिले के नगरा निवासी देवनारायण प्रजापति पुत्र स्व छोटेलाल ने फौजदारी निगरानी संख्या - 169/2024 दाखिल किया। इसके बहस सुनवाई में आदेश में विपक्षी उत्तर प्रदेश सरकार, थानाप्रभारी अतुल कुमार मिश्रा, उपनिरीक्षक छुन्ना सिंह व मुन्ना लाल यादव, सहित पांच सिपाही शिवम् पटेल, विवेक कुमार, सन्तोष सिंह, राजकुमार पटेल, दीनानाथ राम पर विद्वान विचारण न्यायालय को निर्देशित किया कि 02-08 2024 के निर्णय में दिए गये निर्देश के सम्प्रेषण के प्रकाश में पुनः सुनवाई कर विधि सम्मत आदेश पारित किया है। इसके पूर्व मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट बलिया साम्भवी यादव द्वारा मुकदमा संख्या 9724/23 देवनारायण बनाम अतुल आदि थाना नगरा जिला बलिया, में पारित आदेश दिनांक 02-08-20024 के द्वारा परिवाद निरस्त कर दिया था। इसके विरुद्ध वादी देवनारायण प्रजापति ने परिवाद संख्या 169/2024 दाखिल किया था। देवनारायण प्रजापति ने अपने वाद में मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के कोर्ट में वाद दाखिल किया था कि पट्टीदार से भुमि बताकर थानाप्रभारी अतुल कुमार मिश्रा ने थाने बुलावाए और उपरोक्त दो एसाई, व पांच पुलिस कर्मी साथियों के साथ मिलकर अपशब्दों का प्रयोग करते जमीन पर गिराकर बुरी तरह मार-पिटाई में गम्भीर चोटें आई। जिससे अर्धमुर्छित हो गया और आंख से दिखाई नहीं दे रहा है तथा आंख की रोशनी चली गयी। थानाप्रभारी अतुल कुमार मिश्रा ने अपने प्रभाव से मेडिकल नहीं होने दिया और 151 में चालान कर दिया। दुसरे दिन सीएमओ के आदेश पर 14 चोटों के निशान का मेडिकल हुआ। नगरा से रेफर बलिया, बीएचयू वाराणसी से रेफर एसजीपीजीआई लखनऊ में इलाज चल रहा है। 14-08-23 को घटना की जानकारी पुलिस अधीक्षक जिलाधिकारी व मुख्यमंत्री सहित अन्य सम्बंधित को दी गयी मगर रिपोर्ट नहीं लिखी गयी। न्याय की उम्मीद नहीं मिलने पर कोर्ट में मुकदमा दाखिल किया। जिसमे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने 197 लोक सेवक का हवाला देकर मुकदमा खारिज कर दिया था। दोनों पक्षों के विद्वान अधिवक्ता को सुनकर विशेष न्यायाधीश ने पत्रावली का अवलोकन कर कहा है कि विचारण न्यायालय द्वारा धारा- 200 दं.प्र.सं. के अन्तर्गत परिवादी के स्वयं का बयान एवं धारा 202 दंप्र.सं. के अन्तर्गत साक्षियों का बयान एवं विचारण न्यायालय द्वारा परिवादी द्वारा परिवाद में रखे गये तथ्य एवं परिस्थितियों तथा उसके समर्थन में दाखिल किए गये दस्तावेज साक्ष्य पर विचार करने के उपरान्त ही विद्वान विचारण न्यायालय को कारण दर्शित करते हुए आदेश पारित कराना चाहिए था, किन्तु विद्वान विचारण न्यायालय द्वारा उक्त के सम्बन्ध में कोई निष्कर्ष नहीं दिया गया है। वादी के विद्वान अधिवक्ता निर्भय नारायण सिंह ने हाईकोर्ट सहित अन्य मामलों का प्रभावशाली दलील पेश करते हुए लोकसेवक अधिनियम 197 का लागू नहीं होता बताया। कहा कि लोक सेवक कर्तव्य के विपरित कार्य नहीं कर सकता। इस तरह वाद के पुनर्निरिक्ष  के आदेश में 25 बिन्दुओं को दर्शाते हुए वाद को बल मिलता पाकर विशेष न्यायाधीश ने आदेश पारित किया है।

Post a Comment

0Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.
Post a Comment (0)

#buttons=(Accept !) #days=(20)

Our website uses cookies to enhance your experience. Learn More
Accept !
To Top